एक लोमड़ी और एक कौआ – बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानी 🦊🐦
एक लोमड़ी और एक कौआ – बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानी
बहुत समय पहले की बात है। एक बड़ा, हरा-भरा जंगल था, जहाँ पेड़-पौधे झूमते रहते थे, फूलों से भीनी-भीनी खुशबू आती थी और चारों तरफ पक्षियों की चहचहाहट सुनाई देती थी। इस जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे – कोई पेड़ों पर कूदता, कोई जमीन पर दौड़ता, कोई पानी में तैरता।
इसी जंगल में एक बहुत ही चालाक लोमड़ी भी रहती थी। लोमड़ी हर समय कुछ नया सोचती रहती थी, खासकर तब जब उसे भूख लगती थी। और एक दिन वही हुआ – सुबह से लोमड़ी ने कुछ नहीं खाया था। वह जंगल में खाने की तलाश में इधर-उधर घूम रही थी। कभी किसी पेड़ के नीचे सूंघती, कभी किसी झाड़ी में झांकती, पर कुछ भी खाने को नहीं मिला।
अब वह थक चुकी थी, भूख से उसका पेट गुड़गुड़ा रहा था। तभी उसकी नजर एक बड़े से आम के पेड़ पर पड़ी। उस पेड़ की सबसे ऊँची डाल पर बैठा था एक कौआ – काला, चतुर, और हमेशा सतर्क रहने वाला पक्षी। लेकिन इस बार कौआ की चोंच में कुछ था।
हाँ! एक मोटा, ताजा रोटी का टुकड़ा!
लोमड़ी की आँखें चमक उठीं। उसके मुँह में पानी आ गया। वह बोली,
“अगर मुझे ये रोटी मिल जाए, तो मेरी भूख मिट सकती है!”
पर अब सवाल यह था कि वह पेड़ पर तो चढ़ नहीं सकती थी, और कौआ अपनी चीज़ों की सुरक्षा के लिए मशहूर था। तो क्या करे?
🧠 लोमड़ी की योजना
लोमड़ी वहीं पेड़ के नीचे बैठ गई और सोचने लगी। तभी उसके दिमाग में एक चालाक तरकीब आई। वह मुस्कराई और पेड़ के नीचे जाकर खड़ी हो गई।
उसने ऊपर देखा और मीठे स्वर में बोली,
“अरे! क्या मैं सपना देख रही हूँ? या सच में आज मेरे सामने जंगल का सबसे सुंदर पक्षी बैठा है?”
कौआ थोड़ा हैरान हुआ, पर उसने कुछ नहीं कहा। चुपचाप अपनी रोटी चोंच में पकड़े रहा।
लोमड़ी ने फिर कहा,
“काले रंग का इतना सुंदर पक्षी मैंने पहले कभी नहीं देखा। तुम तो सच में इस जंगल के राजा हो सकते हो।”
अब कौआ थोड़ा खुश हुआ, पर उसने अभी भी जवाब नहीं दिया।
लोमड़ी ने अपनी बात और आगे बढ़ाई,
“मुझे तो लगता है, अगर आपकी आवाज भी सुंदर है, तो आप शेर से भी बड़े राजा बन सकते हो! क्यों न आप एक गाना सुना दें?”
अब तो कौआ को बहुत गर्व हुआ। उसने सोचा, “इतनी तारीफ हो रही है, तो थोड़ी सी आवाज तो दिखा ही दूं।”
जैसे ही कौवे ने “काँव काँव” करके गाने की कोशिश की, उसकी चोंच खुल गई — और रोटी का टुकड़ा नीचे गिर गया!
🍞 चालाकी काम आई
लोमड़ी ने बिजली की तरह झपट्टा मारा और रोटी उठाकर अपने मुँह में डाल ली। उसने खुशी से उछलते हुए कहा:
“वाह! क्या स्वाद है इस रोटी का! धन्यवाद कौआ भैया, आपने मेरा पेट भर दिया!”
कौवे को अपनी मूर्खता पर बहुत पछतावा हुआ। वह कुछ कह तो नहीं सका, लेकिन मन ही मन सोचने लगा — “मैंने चापलूसी में आकर कितनी बड़ी गलती कर दी।”
लोमड़ी जाते-जाते मुस्कराई और बोली,
“एक सलाह देती हूँ, कौए भैया —
हर मीठी बात सच नहीं होती, और हर तारीफ के पीछे कोई न कोई मतलब छिपा होता है। अगली बार किसी की बातों में मत आना।”
कौवा अब चुपचाप बैठा रहा — शर्मिंदा, लेकिन एक अच्छी सीख के साथ।
🌟 नैतिक शिक्षा (Moral of the Story):
चापलूसी करने वालों पर कभी भरोसा मत करो।
अपने गुणों पर घमंड न करो, और मीठी बातों में न बहो।
📚 इस कहानी से हम क्या सीख सकते हैं?
बुद्धिमानी और सतर्कता: कौआ अगर सतर्क रहता तो वह अपनी रोटी बचा सकता था।
चापलूसी से बचें: हर कोई आपकी सच्ची तारीफ नहीं करता — कई लोग अपने मतलब के लिए मीठा बोलते हैं।
अहंकार नहीं करना चाहिए: अपनी तारीफ सुनकर घमंड करना गलत है।
सही निर्णय लेना सीखें: किसी की बातों में आकर कोई काम करने से पहले सोच-विचार जरूर करें।
