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“हरियावन के नन्हे शेरू की कहानी –

बहुत समय पहले की बात है, घने जंगल में जानवरों का एक सुंदर सा गांव था — नाम था हरियावन। वहाँ हर जानवर खुश रहता था, लेकिन एक था जो थोड़ा अलग था — शेरू, एक नन्हा शेर का बच्चा।

शेरू बहुत ताकतवर बनना चाहता था, लेकिन मेहनत करने से हमेशा बचता था।

“मैं तो शेर हूँ, जंगल का राजा! मुझे क्यों मेहनत करनी चाहिए?” — शेरू अकसर कहता।

एक दिन जंगल में एक बड़ा संकट आ गया। पास के नदी में पानी बहुत कम हो गया

 और अब सभी जानवरों को दूर-दूर से पानी लाना पड़ता था।

हाथी दादा, गिल्लू गिलहरी, कौआ काका, और बाकी सभी जानवर मिलकर रोज़ मेहनत करते और पानी लाते।

लेकिन शेरू? वो तो पेड़ की छांव में आराम करता और कहता —
“ये सब मेरा काम नहीं।”

“एक दिन गर्मी बहुत बढ़ गई, इसलिए शेरू को प्यास लगी। वह दौड़ता हुआ तालाब की ओर गया, लेकिन तालाब सूख चुका था।

अब शेरू ने बाकी जानवरों से मदद मांगी, लेकिन सभी थक चुके थे और किसी में ताकत नहीं बची थी।

गिल्लू गिलहरी बोली: “जब हम मेहनत कर रहे थे, तब तुम सो रहे थे। अब खुद ही सीखो कि साथ काम करना कितना ज़रूरी होता है।”

शेरू को बहुत शर्मिंदगी हुई। अब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। 

उसने अगले दिन से सबके साथ मिलकर काम करना शुरू किया 

— पानी लाना, पेड़ लगाना और सफाई रखना।

कुछ महीनों में हरियावन फिर से हरा-भरा हो गया,

और अब शेरू ना सिर्फ ताकतवर था, बल्कि सबसे समझदार और मेहनती भी!

हालांकि शेरू नन्हा था, फिर भी उसे सीख मिली।


🌟 सीख (Moral):

“सिर्फ नाम से राजा नहीं बना जाता, मेहनत और एकता से ही असली महानता मिलती है।

 

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