श्रीकृष्ण का जन्म और गोकुल आगमन 🌼
(एक दिव्य कथा – प्रेम, पीड़ा और परमेश्वर की योजना की)
🕯️ समय – द्वापर युग, अंधकार से भरी रात
चारों ओर त्राहि-त्राहि मची हुई थी। अत्याचार, अनाचार, और अधर्म अपने चरम पर था।
पृथ्वी माता ने अपने भार से व्यथित होकर ब्रह्मा जी से गुहार लगाई – “हे सृष्टिकर्ता! मुझे इस पाप से मुक्ति दिलाओ।”
ब्रह्मा जी ब्रह्मलोक से सीधे क्षीर सागर पहुंचे, जहाँ भगवान विष्णु शेषनाग पर योगनिद्रा में थे।
प्रार्थनाओं से उनका ध्यान टूटा, और उन्होंने कहा –
“धरा पर मैं स्वयं अवतार लूँगा। मैं यदुवंशी वासुदेव और देवकी के पुत्र के रूप में जन्म लूंगा।
अधर्म का अंत होगा।”
👑 मथुरा – कंस का आतंक
मथुरा में यदुवंश की राजकुमारी देवकी का विवाह वासुदेव से हुआ।
विवाह के समय स्वयं उसकी रथ की बागडोर उसके भाई कंस ने थामी।
वह बहुत प्रेम करता था अपनी बहन से।
पर तभी आकाशवाणी हुई –
“हे कंस! जिस देवकी को तू प्रेम से विदा कर रहा है, उसी के गर्भ से जन्मा आठवां पुत्र तेरा काल बनेगा!”
कंस का चेहरा विकृत हो गया। वह झट से तलवार खींचकर देवकी को मारने दौड़ा। पर वासुदेव ने हाथ जोड़कर कहा –
“तू मेरी पत्नी को मत मार। मैं तुम्हें हर संतान सौंप दूँगा। पर देवकी को छोड़ दे।”
कंस ने उन्हें कैद में डाल दिया – मथुरा के कारागार में।
🕯️ सात बच्चों की बलि
समय बीतता गया। एक-एक कर देवकी के सात पुत्र हुए। और हर बार, कंस ने निर्दयता से उन्हें मार डाला।देवकी चीखती, वासुदेव की आँखों में आँसू छलकते — लेकिन दोनों मौन रहे,
क्योंकि यह भविष्यवाणी का भार था।

अष्टमी की रात – आश्चर्यजनक लीला श्रीकृष्ण का जन्म
अंततः वह रात आई…
भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी।
चारों ओर घनघोर अंधकार था। मथुरा में तूफान उठ चुका था। गगन में बिजली चमक रही थी, वृष्टि थमने का नाम नहीं ले रही थी।
कारागार में – देवकी प्रसव पीड़ा से कराह रही थीं। वासुदेव उसका हाथ थामे थे।
और जैसे ही मध्यरात्रि हुई…
एक दिव्य प्रकाश कारागार में फैल गया।
देवकी के गर्भ से निकला एक चमकता हुआ नवजात शिशु – जिसके हाथों में चक्र और गदा की छाया थी,
माथे पर बंधा काजल-सा मुकुट था, और आँखों में ब्रह्मांड।
वासुदेव स्तब्ध रह गए। वह कोई साधारण शिशु नहीं था। वह स्वयं भगवान नारायण थे।
🌼 वासुदेव का गोकुल गमन
तभी एक और चमत्कार हुआ –
कारागार के ताले अपने आप खुल गए, पहरेदार गहरी निद्रा में चले गए, और मुक्ति का द्वार खुल गया।
वासुदेव को अंतरात्मा की प्रेरणा हुई –
“इस बालक को गोकुल ले जाकर नंद बाबा और यशोदा के घर रखो, और वहाँ से उनकी नवजात कन्या को लाकर यहाँ छोड़ दो।”
वासुदेव ने शिशु को एक छोटे टोकरी में रखा, मस्तक पर ले लिया।
तभी एक और दिव्य सहायता आई –
शेषनाग ने ऊपर अपना फन फैलाकर बारिश से वासुदेव और शिशु को ढक लिया।
यमुना नदी उफान पर थी, लेकिन जैसे ही वासुदेव जल में उतरे, जल शांत हो गया, रास्ता बनता चला गया।
वासुदेव की हर कदम पर दिव्यता साथ थी।
🏡 गोकुल में श्रीकृष्ण
वासुदेव गोकुल पहुंचे, जहाँ नंद बाबा और यशोदा का घर था। उस रात यशोदा ने एक कन्या को जन्म दिया था – योगमाया।
वासुदेव ने कृष्ण को यशोदा के पास सुला दिया, और कन्या को लेकर वापस कारागार लौट आए।
जैसे ही वासुदेव लौटे –
कारागार के ताले फिर से बंद हो गए, पहरेदार जाग गए और बालिका के रोने की आवाज से कंस को पता चल गया कि आठवां बालक जन्म ले चुका है।
🔥 योगमाया का चमत्कार
कंस दौड़ा – उसने उस कन्या को पकड़ लिया और जैसे ही उसे पटकने लगा, वह कन्या हवा में उड़ गई।
हवा में चमकते हुए स्वर में बोली –
“हे कंस! जिसने तेरा काल बनना है, वह गोकुल पहुँच चुका है।”
कंस भयभीत हो गया। पर उसका अत्याचार रुका नहीं।
🌼 नई सुबह – नंदोत्सव
गोकुल में अगली सुबह नंद बाबा ने पूरे गाँव में घी, माखन और गुड़ बाँटा।
बृज में उत्सव हुआ – “नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैयालाल की!”
यशोदा ने नहीं जाना कि शिशु कहाँ से आया, पर वह उसे देख प्रेम से भर गईं – और पाला अपने ही पुत्र के रूप में।
📜 इसी प्रकार शुरू हुई उस बाल गोपाल की लीलाएं, जिसने अधर्म का नाश और प्रेम का विस्तार किया।
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