एक कदम और – हार के बाद भी - Prernadayak Kahani
Ek Kadam Aur
रात के 2 बजे थे।
कमरे में बिखरी किताबें, नोट्स, पेन, और कॉफी के खाली कप इस बात के गवाह थे कि आकाश ने पूरी मेहनत की थी।
आज सरकारी परीक्षा का रिजल्ट आया था, जिस पर उसने 3 साल से अपनी पूरी ताकत लगा दी थी।
उसने कंप्यूटर ऑन किया, रोल नंबर डाला… और स्क्रीन पर लिखा था:
“Not Selected.”
उसके कानों में शोर सा गूंजने लगा।
3 साल की मेहनत, रोज़ 10-12 घंटे पढ़ाई, सब बर्बाद।
मम्मी बाहर चुप खड़ी थीं, पापा ने अखबार नीचे रखा और लंबी सांस ली।
रात में बिस्तर पर लेटे-लेटे आकाश की आंखों से आंसू निकल पड़े।
उसने खुद से कहा:
“एक आखिरी बार, पूरी ताकत से कोशिश करूंगा।”
दूसरी कोशिश की जंग
आकाश ने फिर से सुबह 5 बजे उठकर पढ़ाई शुरू की।
सोशल मीडिया छोड़ दिया, खाने-पीने तक का ध्यान नहीं रखा, बाल बढ़ गए, चेहरा उतर गया।
उसने मॉक टेस्ट दिए, गलतियां सुधारी, नोट्स फिर से बनाए।
वो दिन-रात पढ़ता, बस एक सपना लेकर – “इस बार पास होकर दिखाना है।”
6 महीने तक उसकी दिनचर्या वही थी:
सुबह योग और 15 मिनट ध्यान
फिर 4 घंटे पढ़ाई
दोपहर में 2 घंटे पुराने पेपर हल करना
शाम को 3 घंटे नए टॉपिक पढ़ना
रात को Revision और मॉक टेस्ट
परीक्षा का दिन आया। उसने पेपर दिया। बाहर निकलते ही उसे लगा, “इस बार सब सही हुआ है।”
रिजल्ट का दिन
जब रिजल्ट आया, उसके हाथ कांप रहे थे।
रोल नंबर डाला।
स्क्रीन पर वही लिखा था:
“Not Selected.”
इस बार उसकी आंखों में आंसू नहीं आए।
बस अंदर कुछ टूट गया।
उसने मम्मी को देखा, वो अभी भी उसे उम्मीद से देख रही थीं, लेकिन आकाश ने खुद को हारता हुआ महसूस किया।
रिश्तेदारों ने कहना शुरू कर दिया:
“अब बहुत हो गया, छोड़ दे यह सब। नौकरी कर, उम्र निकल जाएगी।”
नौकरी पर जाने की मजबूरी
पापा ने कहा:
“बेटा, कोई नौकरी पकड़ ले। घर कैसे चलेगा?”
मम्मी ने भी कहा:
“कुछ काम कर ले”
आकाश ने हार मान ली।
उसने अपनी किताबें पैक कर दीं।
एक छोटे शहर में एक प्राइवेट कंपनी में 12,000 रुपये की नौकरी पकड़ ली।
काम था डेटा एंट्री, बिल बनाना और ऑफिस का छोटा-मोटा काम संभालना।
नौकरी की ज़िंदगी और खोया हुआ सपना
रोज़ सुबह 7 बजे बस पकड़ता, ऑफिस में 8-9 घंटे काम, बॉस की डांट, थकान, और फिर घर आकर बिना पढ़े सो जाना।
सपने मरते जा रहे थे।
उसे लगता था कि ज़िंदगी अब ऐसे ही निकलेगी।
कभी-कभी वह किताबों की तरफ देखता, लेकिन उन्हें छूने की हिम्मत नहीं होती थी।
ऑफिस में एक मुलाकात
एक दिन लंच में ऑफिस की कैंटीन में बैठा था, तो वहां 55 साल के अकाउंट हेड श्रीवास्तव सर आये।
उन्होंने आकाश से कहा:
“तुमने पढ़ाई की हो बेटा?”
आकाश ने धीमे स्वर में कहा, “सर, 4 साल तैयारी की, दो बार फेल हुआ। अब नहीं कर सकता।”
श्रीवास्तव सर हंसकर बोले:
“मैंने भी 7 बार फेल होने के बाद सरकारी परीक्षा पास की थी। ये नौकरी ठीक है, लेकिन क्या तुमने कभी खुद से पूछा कि क्या यही तुम्हारा सपना था?”
उनकी ये बात आकाश के दिल में चुभ गई।
रात को आकाश घर आया, और बहुत देर तक जागता रहा।
उसे मम्मी की बातें याद आईं:
“बेटा, हार मत मान। मंज़िल एक कदम और चलने वालों को ही मिलती है।”
हार के बाद एक आखिरी प्रयास
उस रात आकाश ने ठान लिया:
“एक आखिरी बार कोशिश करूंगा, पूरे दिल से। अगर हार गया, तो इस बार सच में छोड़ दूंगा।”
उसने अपनी सैलरी से नए नोट्स खरीदे।
ऑफिस से आने के बाद वह हर रात 4 घंटे पढ़ने लगा।
रविवार को पूरा दिन लाइब्रेरी में बैठ कर पढ़ाई करता।
बस में आने-जाने का समय ऑडियो नोट्स सुनकर निकालता।
यूट्यूब पर टॉपिक के वीडियो देखता।
पुराने पेपर हल करता, मॉक टेस्ट देता।
6 महीने तक ऑफिस और पढ़ाई का बैलेंस बनाए रखा।
कई बार ऑफिस में नींद आ जाती, कई बार बॉस डांटता, लेकिन आकाश रुका नहीं।
रिश्तेदारों ने मजाक उड़ाया, लेकिन उसने सुना नहीं।
उसने पेपर में बैठने से पहले मम्मी-पापा के पैर छुए।
पेपर शुरू हुआ, और इस बार आकाश को आत्मविश्वास था।
उसने बिना घबराए पेपर हल किया, और पूरे फोकस से पेपर खत्म किया।
तीसरी कोशिश का रिजल्ट
रिजल्ट वाले दिन घर में सभी का दिल धड़क रहा था।
आकाश ने कंप्यूटर खोला, रोल नंबर डाला।
थोड़ी देर के लिए इंटरनेट स्लो हो गया।
फिर स्क्रीन पर आया:
“Selected. Rank: 12”
आकाश के हाथ कांपने लगे।
उसकी आंखों से आंसू बहने लगे।
वो दौड़ता हुआ मम्मी के पास गया, और गले लगकर बोला:
“मम्मी, इस बार हो गया!”
मम्मी रोते हुए हंस पड़ीं।
पापा ने पहली बार आकाश को गले लगाया और कहा:
“मुझे तुझ पर गर्व है बेटा।”
घर में मिठाई बंटी, रिश्तेदारों ने बधाई दी, पड़ोसी आकर गले मिले।
पूरे मोहल्ले में आकाश के नाम की चर्चा होने लगी।
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